Saturday 24 January 2009

सबूत के साथ आरोप लगाएं राजनेता : माया शर्मा

दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की पत्नी माया शर्मा ने स्टार न्यूज के साप्ताहिक कार्यक्रम 'जो कहूंगा, सच कहूंगा' में दीपक चौरसिया के साथ बातचीत में कहा है कि नेताओं को किसी भी शहीद अधिकारी पर मुठभेड़ को लेकर आरोप लगाने से पहले सबूत सामने रखना चाहिए क्योंकि ऐसे बयानों से शहीद के परिवार पर क्या गुजरती है, इसे नेता नहीं समझ सकते. माया ने कहा कि कोई आदमी कहीं गोली खाने नहीं जाता. मुठभेड़ में जब पुलिस वाले जख्मी हुए हों और जान गंवा चुके हों तो उसे फर्जी नहीं कहा जा सकता. शर्मा को सरकार ने अशोक चक्र देने का फैसला किया है जो शांति के समय में देश का सर्वोच्च बहादुरी पुरस्कार है.

माया ने कहा कि राजनेता एक बयान देकर भूल जाते हैं लेकिन वह बयान शहीद के परिवार को बार-बार दुख देता है. बाटला हाउस मुठभेड़ को लेकर उठाए गए सवालों पर उन्होंने कहा कि ये कुछ लोगों की राय हो सकती है लेकिन पूरे देश ने टीवी चैनलों पर मुठभेड़ का सच अपनी आंखों से देखा. माया ने कहा कि आतंकी हमलों के सबसे बड़े शिकार आम लोग होते हैं इसलिए सरकार को आतंकियों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाना चाहिए और कठोर नीतियां बनानी चाहिए. शर्मा के बुलेट प्रूफ जैकेट न पहनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये फैसला मौके पर मौजूद अधिकारियों की टीम करती है. उन्होंने ये भी कहा कि बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने से आसानी से पहचाने जाने का खतरा होता है इसलिए कई बार पुलिस अधिकारी बिना जैकेट के जान हथेली पर रखकर जाते हैं. माया ने कहा कि पुलिस विभाग कुछ लोगों के कारण बदनाम हो जाता है जबकि यहां कई अच्छे अधिकारी होते हैं.

माया शर्मा ने बताया कि जब उन्हें गृह मंत्रालय से फोन पर मोहन चंद शर्मा को अशोक चक्र देने के फैसले के बारे में जानकारी दी गई तो पूरा परिवार बहुत रोया. उन्होंने कहा कि उनके पति कोई काम अवार्ड के लिए नहीं करते थे लेकिन उनकी ये भावना रहती थी कि उनके काम की पहचान हो. उन्होंने बताया कि शर्मा उस समय मुठभेड़ में शहीद हो गए जब उनके बेटे का डेंगू का इलाज चल रहा था और वह खून की कमी से जूझ रहा था. शर्मा मुठभेड़ पर जाने से पहले बच्चे के लिए खून की व्यवस्था करके गए थे.

माया ने बताया कि अस्पताल से लाने के वक्त उन्होंने बेटे को शर्मा की मौत की खबर दी. सदमे के कारण छोटी-छोटी बात पर रोने वाला उनका बेटा उसके बाद से आज तक नहीं रोया. उन्होंने कहा कि शर्मा ऑफिस और परिवार दोनों को बराबर महत्व देते थे और दोनों के बीच बेहतर संतुलन रखते थे. माया ने बताया कि पूरे परिवार की आदत हो गई थी कि छोटी सी छोटी चीज के लिए भी उनसे फोन पर पूछने के बाद ही फैसला करते थे जो अब बहुत खलती है.